संरक्षक जी का सन्देश
शिक्षा जीवन का आधार हैं इसके अभाव मैं गुणवत्तापूर्ण जीबन की आशा नही की जा सकती हैं। शिक्षा संस्कृति की संवाहक भी हैं और परिक्षण का माध्यम भी । संस्कृति मानव द्वारा अर्जित गुणों का सार हैं। शिक्षा मानव को एक सांस्कृतिक प्राणी के रूप मैं ढालने
की प्रिक्रिया हैं । यह प्रिक्रिया शिक्षक रूपी आदर्श व्यक्तित्व द्वारा संचालित की जाती हैं ।कहा जाता हैं की एक श्रेष्ठ शिक्षक भौतिक साधनों के अभाव को अपनी कुशलता दक्षता व् प्रवीणता उसे गुणवत्तापूर्ण श्रेष्ठ प्रशिक्षण से प्राप्त होती हैं ।
शिक्षकों का प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम हैं । उनके प्रशिक्षण की सफलता पर राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता हैं इसी तथ्य को ध्यान मैं रखकर शांत व् सुरम्य वातावरण मैं दया व् करुणा की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा के नाम पर शिक्षक-प्रशिक्षण महाविधालय की स्थापना की गयी हैं
महाविधालय स्थापना का उद्देश्य आस पास के क्षेत्र मैं शिक्षक=प्रशिक्षण का एक ऐसा संस्थान निर्मित करना हैं जो कर्तव्यनिष्ठ,राष्ट्रीय चरित्र से ओत-प्रोत व् नवाचार से सुसंपन्न हो, साथ ही रास्त्र निर्माण की प्रकिया मैं अपना श्रेष्ठतम योगदान देने के लिए कटिबद्ध हों।
शिक्षको मैं संवेदनशीलता व् सहानुभूति का समावेश करना संस्था का दूसरा प्रमुख उद्देश्य हैं । कोई भी संस्था अपने कार्यों से ही समाज मैं स्थान बनाती हैं ।आशा ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास हैं कि सभी प्रशिक्षनार्थी भारतीय संस्कृति मैं वर्णित गुरु की श्रेष्ठ परम्परा
को न केवल आत्मसात करेंगे वरन चतुर्दिक ज्ञान और लोकमंगल की ऐसी सुगंध फैलायेंगे की समस्त वातावरण पुलकित व् आहलादित हो उठेगा।
सभी प्रशिक्षनार्थियो को श्रेठ शिक्षक बनने की शुभकामना।
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